नैनी सैनी एयरपोर्ट के अधिग्रहण पर AAI और उत्तराखंड सरकार में समझौता, हवाई सेवाओं के पुनरुद्धार की उम्मीद

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देहरादून। उत्तराखंड के लिए रविवार का दिन नागरिक उड्डयन क्षेत्र में बड़ा साबित हुआ। राज्य सरकार और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) ने पिथौरागढ़ के नैनी सैनी एयरपोर्ट को एएआई द्वारा अधिग्रहित किए जाने को लेकर एक अहम समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह MoU राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने के जश्न के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में संपन्न हुआ, जिसे लेकर प्रदेश में उत्साह देखा जा रहा है।

कुमाऊँ के अंतिम सीमांत जिलों में शामिल पिथौरागढ़ धार्मिक और सामरिक, दोनों ही दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण है। ओम पर्वत, आदि कैलाश और कैलाश मानसरोवर यात्रा के मार्ग पर बसे इस क्षेत्र तक बेहतर हवाई पहुंच लंबे समय से आवश्यक मानी जा रही थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नैनी सैनी एयरपोर्ट का विस्तार न सिर्फ पर्यटन को नई दिशा देगा, बल्कि स्थानीय कारीगरी, संस्कृति और पारंपरिक व्यवसायों को भी बड़ा बाजार उपलब्ध कराएगा। उनके अनुसार, हवाई संपर्क बढ़ने से व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं और आतिथ्य उद्योग में व्यापक अवसर पैदा होंगे और युवाओं को रोजगार के नए विकल्प मिलेंगे।

एएआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एयरपोर्ट का औपचारिक अधिग्रहण होते ही संचालन संबंधी जिम्मेदारियां एएआई अपने हाथ में ले लेगा। शुरुआती चरण में एयर पोर्ट पर ATC व्यवस्था स्थापित की जाएगी और जरूरत पड़ने पर फायर सेवाएं भी एएआई की प्रत्यक्ष निगरानी में लाई जाएंगी। अधिकारी ने यह भी कहा कि एयरपोर्ट पर एएआई का अपना स्टाफ तैनात किया जाएगा, जिसमें एक अलग एयरपोर्ट निदेशक भी शामिल होगा। नेविगेशन, लैंडिंग उपकरण और सभी संचालन प्रोटोकॉल एएआई के मानकों के अनुसार अपग्रेड किए जाएंगे। प्रारंभ में प्रशासनिक नियंत्रण एएआई के देहरादून कार्यालय से संभाला जा सकता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह समझौता प्रदेश में टिकाऊ हवाई अवसंरचना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे पर्वतीय क्षेत्रों की आपदा प्रबंधन क्षमता भी मजबूत होगी। उन्होंने इसे उत्तराखंड के विकास पथ पर एक निर्णायक उपलब्धि बताया।

नैनी सैनी एयरपोर्ट वर्ष 1999 में बनाया गया था, जहां 1,600 मीटर लंबा और 60 मीटर चौड़ा रनवे मौजूद है। 2018 में पहली ट्रायल फ्लाइट और 2019 में वाणिज्यिक उड़ानें शुरू हुई थीं, लेकिन 2020 में तकनीकी कारणों से सेवाएं रोक दी गईं। 2022 में एयरपोर्ट को भारतीय वायुसेना को सौंपने का प्रस्ताव भी दिया गया था, हालांकि अब एएआई के अधिग्रहण के बाद इसके फिर से सक्रिय होने की संभावनाएं मजबूत हो गई हैं।

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